MP tourism pachmarhi 2024 : मध्यप्रदेश का खूबसूरत हिल स्टेशन है पंचमढ़ी, यहां मिलेंगे प्यारे नज़ारे

MP tourism pachmarhi 2024 : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 190 किलोमीटर दूर स्थित है। पचमढ़ी की खोज का श्रेय डी एच गार्डन नामक विद्वान को जाता है। नर्मदापुरम जिले में स्थित पंचमढ़ी एक पर्वतीय पर्यटक स्थल (Hill station) है। यहां पर ब्रिटिश राज के समय छावनी स्थापित की गई थी जो आज़ादी के समय तक मौजूद रहीं। पंचमढ़ी की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 1100 मीटर है जो इस हिल स्टेशन को ठंडा और सुखद रखता है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण यह शहर “सतपुड़ा की रानी” के नाम से प्रसिद्ध है।

यहाँ घने जंगल, कलकल करते जलप्रपात और तालाब हैं। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का भाग होने के कारण यहाँ आसपास बहुत घने जंगल हैं। यहाँ के जंगलों में शेर, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, चिंकारा, भालू, भैंस तथा कई अन्य जंगली जानवर मिलते हैं। यहाँ की गुफाएँ पुरातात्विक महत्व की हैं, क्योंकि यहाँ गुफाओं में शैलचित्र भी मिले हैं, ऐसा माना जाता है कि पांचों पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस स्थान का दौरा किया था।

MP tourism pachmarhi 2024

अपनी वनस्पतियों और जीवों के लिए पचमढ़ी यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व में सूचीबद्ध है और विशाल सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है, जो कई प्रकार के पेड़ों से अपना आकर्षण जोड़ता है। साथ ही भारत के सबसे ऊंचे झरनों में सूचीबद्ध रजत प्रपात की ऊंचाई लगभग 350 फीट है। साथ ही मध्य प्रदेश का उच्चतम बिंदु धूपगढ़ भी यहीं स्थित है जो समुद्र तल से 1352 मीटर ऊँचाई पर स्थित है। सतपुड़ा पर्वतीय क्षेत्र को घेरने वाली अनेकों शक्तिशाली पहाड़ियों के लिए जाना जाने वाला यह शहर ऐसी जगहों से भरा हुआ है जो आसानी से आपको अपने तनावपूर्ण जीवन से दूर ले जा सकते हैं और आपकी छुट्टियों को बेहद यादगार बना सकते हैं।

पचमढ़ी अतुल्य भारत के दिल में सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक है और समृद्ध इतिहास और प्रकृति की उदारता का खजाना है। पचमढ़ी में पर्यटाकों को लुभाने के लिए अनेकों खूबसूरत स्थान है जो अद्वितीय अनुभव उपल्ब्ध कराते हैं, मगर यहां हम कुछ अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थानों की चर्चा करेंगे जहां किसी भी पर्यटक को जाना चाहिए।

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पचमढ़ी में अवस्थित शीर्ष दर्शनीय स्थल निम्न लिखित हैं

पाण्डव गुफाएं– पचमढ़ी के कुछ प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में शामिल ‘पांडव गुफाएं’ एक बेहद खास स्थान हैं, इन गुफाओं के विषय में ऐसा माना जाता है कि इनका निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था, जो अपने निर्वासन कल के दौरान अपनी पत्नी द्रौपदी के साथ यहीं पर ठहरे थे। इन गुफाओं में द्रौपदी कोठरी और भीम कोठरी प्रमुख हैं। हालांकि पुरातत्वविद मानते हैं कि ये गुफाएँ गुप्तकालीन हैं, जिन्हें बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा बनवाया गया था।

जटा शंकर गुफा– पंचमढ़ी में पर्यटकों की रुचि का एक अन्य बिंदु पत्थर से बनी जटा शंकर गुफा है। यह एक पवित्र गुफा है जो पचमढ़ी कस्बे से मात्र 1.5 किलोमीटर दूरी पर है। यहाँ तक पहुँचने के लिए कुछ दूर तक पैदल चलना पड़ता है। मंदिर में शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बना हुआ है साथ ही यहाँ एक मंदिर में एक ही चट्टान पर बनी हनुमानजी की मूर्ति भी स्थित है। इससे कुछ ही दूरी पर प्रसिद्ध हार्पर की गुफा स्थित है।

इस गुफा का यह नाम अपनी विशेष चट्टानी संरचना के कारण पड़ा है जो भगवान शिव की उलझी हुई जटाओं की तरह दिखती है। लोककथाओं के अनुसार, यह वह स्थान है जहां भगवान शिव राक्षस भस्मासुर से छिपे हुए थे। जटा शंकर गुफा के अंत में एक और अनोखी चट्टान है जो कोबरा के तने हुए फन की तरह दिखती है, जिसे स्थानीय रूप से ‘शेषनाग’ माना जाता है और इनकी पूजा की जाती है।

प्रियदर्शिनी प्‍वाइंट–यह पंचमढ़ी के सबसे मनमोहन स्थानों में से एक है, यहाँ से सूर्यास्त तथा सूर्योदय का दृश्य बहुत ही सुंदर लगता है। यहां से तीन पहाड़ी शिखर नज़र आते हैं, जिनमें बायीं तरफ चौरादेव, बीच में महादेव तथा दायीं ओर धूपगढ़ अवस्थित हैं। बीच में स्थित धूपगढ़ मध्य प्रदेश की भी सबसे ऊँची चोटी है। पर्यटकों को अपनी छुट्टियों को अविस्मरणीय बनाने के लिए, 1350 मीटर की ऊंचाई पर सतपुड़ा रेंज में स्थित मध्य प्रदेश के सबसे ऊंचे स्थान धूपगढ़ में भव्य सूर्यास्त का आनंद जरूर लेना चाहिए। यह स्थान पूरे वर्ष एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है, लेकिन मानसून के मौसम के दौरान धूपगढ़ की यात्रा का अनुभव और अधिक जादुई हो जाता है क्योंकि यह स्थान मानसूनी बादलों और हरे-भरे जंगलों से घिरा होता है, साथ ही बारिश के मौसम में खूबसूरत इंद्रधनुष का निमार्ण होना आपके अनुभव मे चार चांद लगा देता है।

राजेंद्र गिरि– इस पहाड़ी का नाम भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखा गया है। सन 1953 में डॉ॰ प्रसाद स्‍वास्‍थ्‍य लाभ के लिए यहाँ आकर रुके थे और उनके लिए यहाँ रविशंकर भवन बनवाया गया था। इस भवन के चारों ओर प्रकृति की असीम सुंदरता बिखरी पड़ी है। यह स्थान भी पर्यटकों के लिए एक अच्छा विकल्प है।

हांडी खोह– यह पचमढ़ी का एक प्रसिद्ध स्थान है जो यहां की सबसे गहरी खाई है, इसकी गहराई 300 फीट है। यह घने जंगलों से ढँकी है और यहाँ कल-कल बहते पानी की आवाज सुनना बहुत ही सुकूनदायक लगता है। वनों के अत्यंत घने होने के कारण इस स्थान पर दूर से जल दिखाई नहीं देता।पौराणिक संदर्भ के अनुसार ऐसा माना जाता हैं कि भगवान शिव ने यहाँ एक बड़े राक्षस रूपी सर्प को चट्टान के नीचे दबाकर रखा था। स्थानीय लोग इसे अंधी खोह भी कहते हैं जो अपने नाम को सार्थक करती है; यहाँ बने रेलिंग प्लेटफार्म से घाटी का नजारा बहुत सुंदर दिखता है।

पचमढ़ी के प्रसिद्ध झरने–अगर आप झरनों के शौकीन हैं तो आपको यहां खूब आनंद आने वाला है, क्योंकि यहां कईं खूबसूरत और आकर्षक झरने मौजूद हैं। कुछ महत्त्वपूर्ण झरनों में बी फॉल्स, अप्सरा विहार फॉल्स और रजत फॉल्स आदि शामिल हैं।

कुछ महत्त्वपूर्ण झरनों का विवरण

अप्सरा विहार–पांडव गुफाओं से आगे चलने पर 30 फीट गहरा एक ताल है जिसमें नहाने और तैरने का आनंद लिया जा सकता है। इसमें एक झरना आकर गिरता है। यह झरना सिर्फ 10 मिनट की ढलान पर है और पचमढ़ी के सबसे दर्शनीय झरनों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि ब्रिटिश काल में ब्रिटिश महिलाएं यहां स्नान किया करती थीं। महिलाएं गोरी थीं, इसलिए स्थानीय लोगों ने उन्हें अप्सराएं समझा और इसलिए पूल का नाम अप्सरा विहार रखा गया।

बी फॉल्स– इस झरने को जमुना प्रपात के नाम से भी जाना जाता है, यह पंचमढ़ी का सबसे शानदार झरना है और पचमढ़ी बस स्टैंड से सिर्फ 5 किमी दूर है। 150 फीट की ऊंचाई से गिरने वाले इस झरने का नाम इस तरह रखा गया है क्योंकि दूर से देखने पर यह झरना मधुमक्खी के समान लगता है क्योंकि पानी चट्टानों के बीच से बहता है और भिनभिनाहट की आवाज करता है।

रजत प्रपात– यह अप्सरा विहार के करीब ही उससे लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। 350 फुट की ऊँचाई से गिरता है और जब इस पर सूर्य की रोशनी पड़ती है तो यह चांदी की पट्टी के जैसा दिखाई देता है, इसलिए इसे सिल्वर फॉल्स कहा जाता है। इसका जल एकदम दूधिया चाँदी की तरह साफ दिखाई पड़ता है।

आध्यात्मिक स्थलों और शानदार झरनों से लेकर मनोरम स्थलों तक, पचमढ़ी में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है। प्राकृतिक सुंदरता के अलावा, आप सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में जीप सफारी जैसी एडवेंचर गतिविधियों का आनंद भी ले सकते हैं।

इन सबके अलावा पचमड़ी में महादेव मंदिर, चौरागढ़ मंदिर, रीछागढ़, डोरोथी डीप रॉक शेल्टर, जलावतरण, सुंदर कुंड, इरन ताल, धूपगढ़, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1981 में स्थापित गया था इसका क्षेत्रफल 524 वर्ग किलोमीटर है। यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।

साथ ही अपनी यात्रा में और अधिक रोमांच जोड़ने के लिए आप पचमढ़ी के केंद्र में पैरामोटरिंग, एटीवी बाइक की सवारी, पैराग्लाइडिंग, रॉक क्लाइम्बिंग जैसी अनेक एडवेंचरस गतिविधियों को भी आज़मा सकते हैं।

यदि पुरानी वास्तुकला आपको रोमांचित करती है तो आपको क्राइस्ट चर्च अवश्य देखना चाहिए, जो औपनिवेशिक युग की एक सच्ची नीली इमारत है जिसे एक वास्तुकला प्रेमी द्वारा नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है।

पचमढ़ी घूमने का सबसे अच्छा समय

वैसे तो अपने सुहावने मौसम और मंत्रमुग्ध कर देने वाली स्थलाकृति के कारण पचमढ़ी साल भर घूमने लायक जगह है लेकिन मॉनसून और सर्दियों के मौसम में हिल स्टेशन की सुंदरता हजारों गुना बढ़ जाती है (खासकर जुलाई से लेकर फरवरी तक)। साथ ही यदि आप गर्मियों में मध्य प्रदेश की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो आपको पचमढ़ी की यात्रा की योजना बनानी चाहिए क्योंकि यह अविश्वसनीय भारत के केंद्र में अन्य शहरों की तुलना में काफ़ी ठंडा स्थान है।

पचमढ़ी कैसे पहुँचें?

फ्लाइट से–निकटतम हवाई अड्डा राज्य की राजधानी भोपाल में राजा भोज हवाई अड्डा (लगभग 222 किमी) है, जहां दिल्ली और मुंबई और भारत के अनेक प्रमुख शहरों से दैनिक उड़ान सेवाएं उपलब्ध हैं। भोपाल पंहुचकर वहां से पचमढ़ी तक आसानी से टैक्सी मिल सकती है।

जबलपुर से भी कईं शहरों के लिए फ्लाइट सेवा उपल्ब्ध है, यहां से पचमढ़ी सिर्फ 300 किमी है, इसलिए कोई इस मार्ग को भी चुन सकता है। अन्यथा रायपुर, जयपुर, हैदराबाद और अहमदाबाद सहित अन्य भारतीय शहरों से भोपाल या जबलपुर के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट का लाभ उठाया जा सकता है।

ट्रेन से–नर्मदापुरम के पिपरिया रेलवे स्टेशन से सड़क मार्ग द्वारा पचमढ़ी मात्र 54 किमी दूर है। कई सीधी ट्रेनें पिपरिया को सूरत, नागपुर, अहमदाबाद, कानपुर, पटना, पुणे, कोलकाता, आगरा, दिल्ली, वाराणसी आदि जैसे महत्वपूर्ण शहरों से जोड़ती हैं।
और फिर पिपरिया से पचमढ़ी तक टैक्सी आसानी से मिल सकती है क्योंकि यही पकड़ी तक पहुंचने का सबसे सुलभ तरीका है।

सड़क मार्ग से–भोपाल, जबलपुर, नागपुर, इंदौर जैसे नजदीकी शहरों और कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और पेंच राष्ट्रीय उद्यान जैसे प्रमुख पर्यटक आकर्षणों से पचमढ़ी के लिए बहुत सारी सरकारी और निजी बसें उपलब्ध हैं। ऐतिहासिक काल से ही छावनी शहर होने के कारण यहां पर सड़कों की स्थिति काफी अच्छी है।

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