Places to visit in MP : इस बारिश में इंदौर के आसपास इन खूबसूरत पर्यटक स्थलों पर आपको एक बार जरूर जाना चाहिए

Places to visit in MP : इंदौर को उज्जैन से ओंकारेश्वर की ओर जाने वाले नर्मदा नदी घाटी मार्ग पर एक व्यापार केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था, यहीं पर वर्ष 1741 में एक मंदिर (इंद्रेश्वर मंदिर) का निर्माण किया गया, इस मंदिर से ही इंदौर शहर को पहले इंदूर और बाद में अपना वर्तमान नाम ‘इन्दौर’ प्राप्त हुआ। मराठा काल के दौरान प्रसिद्ध मराठा सरदार बाजीराव पेशवा ने इस क्षेत्र पर अधिकार प्राप्त कर लिया था और अपने भरोसेमंद सेनानायक मल्हारराव होलकर को यहां का जमींदार बनाया था।

मल्हार राव होलकर ने ही आगे चलकर इंदौर राज्य तथा होलकर राजवंश की नींव डाली। होलकर वंश का शासनकाल भारत के स्वतंत्र होने तक जारी रहा। यह मध्य प्रदेश में शामिल होने से पहले ब्रिटिश सेंट्रल इंडिया एजेंसी का हिस्सा था। साथ ही मध्य भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी (1948–56) भी रहा। खान (कान्ह) नदी के तट पर बनी प्रसिद्ध कृष्णापुरा छतरियां होलकर शासकों को ही समर्पित हैं।

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भूगोल– इंदौर मालवा पठार के दक्षिणी किनारे पर मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। यह क्षिप्रा नदी की सहायक नदियों, सरस्वती और कान्ह (खान) नदियों के तट पर स्थित हैं। समुद्र तल से इंदौर की औसत ऊंचाई लगभग 553 मीटर है। यहां एक ऊंचा मैदान है जिसके दक्षिण पर विंध्य शृंखला है।

भारत के स्वतन्त्र होने के पूर्व यह यह इन्दौर रियासत की राजधानी था। मालवा पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित इंदौर शहर, राज्य की राजधानी भोपाल से 190 किमी पश्चिम में स्थित है।

यशवंत सागर झील के अलावा, वहाँ कई झील जैसे की सिरपुर टैंक, बिलावली तालाब, सुखनिवास झील और पिपलियापाला तालाब सहित शहर को पानी की आपूर्ति कर रहे हैं।

शहर क्षेत्र में मुख्य रूप से काली मिट्टी पाई जाती है, जो प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी मुख्यतः पाई जाती है। इस क्षेत्र को भारत के भूकंपीय जोन में तृतीय क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

जलवायु – इंदौर शहर अपनी सम जलवायु के लिए पूरे भारत में विख्यात है, यहां न तो ज्यादा ठंड न ही ज्यादा गर्मी होती है। इंदौर तथा उसके आसपास के क्षेत्रों में नम उपोष्णकटिबंधीय जलवायु देखी जा सकती है। यहां प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के समान ही तीन अलग- अलग ऋतुएं (ग्रीष्म, वर्षा और शीत ऋतु) होती हैं।

शिक्षण का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र– इंदौर नगर न केवल मध्य प्रदेश बल्कि देश के अन्य क्षेत्रों के लिये शिक्षा के एक केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय जैसे कईं महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय मौजूद हैं, साथ ही यह देश का इकलौता ऐसा शहर है जहां भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दोनों मौजूद हैं। इनके अलावा यहां और भी कईं महत्वपूर्ण कॉलेज तथा शिक्षण संस्थान उपलब्ध है जो मध्य प्रदेश के साथ साथ देश के अन्य छात्रों की शिक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

इंदौर के प्रमुख पर्यटन आकर्षण– यूं तो इंदौर शहर में कईं महत्वपूर्ण तथा आकर्षक स्थान हैं, उन सभी के विषय में यहां जानकारी देना संभव नहीं है, इसलिए कुछ महत्वपूर्ण स्थानों की हम यहां चर्चा करेंगे।

राजबाड़ा – यह नगर के बीचोबीच स्थित है एक प्रमुख आकर्षण है। मराठा सरदारों द्वारा निर्मित यह स्थान इंदौर शहर की सबसे महत्वपूर्ण धरोहर है। 1984 के दंगों के समय इसमें आग लग जाने से इसको बहुत क्षति पहुँची थी। उसके बाद राजवाड़ा तथा उसके आसपास के क्षेत्रों को कुछ हद तक पुनर्निर्मित करने का प्रयत्न किया गया है ताकि पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके।

  • कांच मन्दिर – यह एक जैन मन्दिर है जिसमें दीवारों पर अन्दर की तरफ कांच से सजाया गया है।
  • नाहर शाह वली दरग़ाह – हजरत नाहर शाह वली दरगाह इंदौर की सबसे पुरानी दरगाह है और यह खजराना क्षेत्र में स्थित है।
  • कृष्णपुरा की छतरियाँ – काह्न नदी के किनारे होलकर काल में बनाई गई छतरियां हैं। यह स्थान राजबाड़े से मात्र 100 मीटर की दूरी पर है।

खजराना गणेश मंदिर – खजराना मंदिर भगवान गणेश का एक सुन्दर मंदिर है। यह शहर के हिंदुओं के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण आस्था का केंद्र है। इस मंदिर को इंदौर रियासत की प्रसिद्ध शाशिका अहिल्या बाई होलकर द्वारा दक्षिण शैली में बनवाया था।यहाँ पर भगवान गणेश के साथ माता दुर्गा, लक्ष्मी, साईबाबा आदि कईं अन्य हिन्दू देवताओं के मंदिर भी अवस्थित है।

सतलोक आश्रम– किठोदा में नवनिर्मित सतलोक आश्रम फिलहाल चर्चा का विषय है जोकि इंदौर से 35 किमी उज्जैन से 20 किमी देवास से 35 किमी. दूर है।

उपरोक्त स्थानों के अलावा अन्य आकर्षण स्थलों में: बड़ा गणपती मन्दिर व्हाइट चर्च, लालबाग पैलेस , मल्हार आश्रम, बिजासन माता मन्दिर, अन्नपूर्णा देवी मन्दिर, यशवंत निवास, जमींदार बाडा, हरसिद्धी मंदिर, पंढ़रीनाथ, टाउन हॉल, अहिल्याश्रम, छत्रीबाग, माणिक बाग, सुखनिवास, फूटीकोठी, दुर्गादेवी मंदिर, इमामबाडा, श्री ऋद्धि सिद्धि चिन्तामन गणेश मंदिर, पितृ पर्वत, इस्कॉन मंदिर आदि शामिल है।

इंदौर शहर के आसपास के प्रमुख पर्यटन

इन्दौर के आस-पास कई प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिनमें से कुछ प्रमुख स्थलों की चर्चा हम यहां पर केरेंगे।

महेश्वर– नर्मदा नदी के तट पर स्थित महेश्वर मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख आकर्षण है, यह खरगोन जिले में स्थित है और इंदौर से मात्र 90 किमी दूर एक अत्यंत सुंदर स्थान है। पहले यह इन्दौर रियासत की राजधानी रहीं, फिर मल्हार राव होलकर तृतीय द्वारा राजधानी को इंदौर शहर में स्थानांतरित कर दिया गया था। महेश्वर 5वीं सदी के बाद से हथकरघा बुनाई का एक केंद्र रहा है। महेश्वर भारत के हाथ करघा कपड़े परंपराओं में से एक का घर है, यहां की माहेश्वरी साड़ियां आज भी भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है। यह अपने मंदिरों, नर्मदा घाटों, किले और महलों के लिये जाना जाता है।

मांडवगढ़ या मांडू – माण्डू धार जिले के वर्तमान माण्डव क्षेत्र में स्थित एक किला-शहर है। यह इन्दौर से लगभग 100 किमी दूर स्थित है। मांडू अपने किलों, महलों और प्राकृतिक परिदृश्य के लिए जाना जाता है। यहां पर हुशंगशाह का मकबरा, रानी रूपमती महल, जहाज महल, जामा मस्जिद, सनसेट प्वाइंट जैसे कईं खूबसूरत स्थान है जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

पातालपानी झरना -यह इंदौर से मात्र 35 किमी दूर, इंदौर के उपनगर महू की ओर स्थित एक झरना है। यहां पर एक प्रसिद्ध हेरिटेज ट्रेन भी संचालित की जाती है जिसका लुत्फ मॉनसून के समय उठाया जा सकता है।

सीतला माता झरना और तिन्चा झरना– मानसून के दौरान यह झरने पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन जाता है। और शहर के लोग अक्सर यहां पर्यटन के लिए जाते है।

उज्जैन तथा ओंकारेश्वर– यह दोनों शहर भी इंदौर के आसपास ही स्थित हैं, यहां पर जाकर आप भारतीय धर्म में अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रखने वाले 12 ज्योतिर्लिंगों में से दो (महाकालेश्वर तथा ओंकारेश्वर) के दर्शन कर सकते हैं।

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