Uttarakhand Tourism : नैनीताल से मुक्तेश्वर की दूरी, मुक्तेश्वर मंदिर उत्तराखंड, मुक्तेश्वर मंदिर किसने बनवाया, मुक्तेश्वर मंदिर कहां है, मुक्तेश्वर मंदिर किस राज्य में है, मुक्तेश्वर मंदिर नैनीताल, मुक्तेश्वर का इतिहास, मुक्तेश्वर मंदिर कांची,
मुक्तेश्वर उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित एक छोटा सा गाँव है जिसे पूरे भारत में एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह कुमाऊँ की पहाड़ियों में 2171 मीटर (करीब 7500 फ़ीट) की ऊँचाई पर अवस्थित है जो नैनीताल से मात्र 51 किलो मीटर, हल्द्वानी से 72 किलो मीटर और दिल्ली से 343 किलो मीटर दूर स्थित है।
प्रसिद्ध लेखक जिम कॉर्बेट भी मुक्तेश्वर आए थे। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘द टेंपल टाइगर एंड मोर मैन-ईटर्स ऑफ़ कुमाऊँ’ में मुक्तेश्वर के बारे में लिखा है। उन्होंने अपनी पुस्तक में उत्तरी भारत की पहाड़ियों के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों द्वारा सामना की जाने वाली विभिन्न कठिनाइयों के विषय में भी लिखा है।
भगवान शिव के मंदिर से ही मिला है यह नाम
मुक्तेश्वर को अपना नाम भगवान शिव के लगभग 350 साल पुराने एक मंदिर के कारण मिला है, जिसे मुक्तेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर शहर के सबसे ऊँचे स्थान पर, भारतीय पशु चिकित्सा संस्थान (IVRI) के परिसर में स्थित है।
मुक्तेश्वर धाम के नज़दीक ही ऊपर की ओर प्रसिद्ध लटकती चट्टानें अवस्थित हैं, जिन्हें स्थानीय रूप से “चौली-की-जाली” के नाम से जाना जाता है। यहीं से नीचे की घाटियों का अत्यंत सुंदर नज़ारा दिखाई देता है।
कईं खूबसूरत झरनों के लिए मशहूर है मुक्तेश्वर
मुक्तेश्वर में अनगिनत खूबसूरत स्थान मौजूद हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं मगर यहां की प्रसिद्धि का एक बड़ा कारण मुक्तेश्वर के हवादार झरने है, जिनमें भालू घाड़ झरना, ताड़ीखेत झरना, रुद्रधारी झरना और ढोकने झरना ज्यादा महत्तवपूर्ण है।
सतोली गांव का सीर्योदय बिंदु (sunrise point) भी है प्रसिद्ध
मुक्तेश्वर के पास ही एक छोटा सा गांव (सतोली गाँव ) है, यहां सरकार द्वारा संचालित पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में प्रसिद्ध सनराइज प्वाइंट भी स्थित है जो एक अन्य मुख्य पर्यटक आकर्षण है। सतोली गांव मुक्तेश्वर से सिर्फ़ 21 किमी दूर स्थित है।
मुक्तेश्वर आने का आकर्षण प्रकृति का आनंद लेने, देवदार के जंगलों से बहती हवा को सुनने, पक्षियों को देखने, ध्यान लगाने और शांति की तलाश करने में है। यहां की स्वच्छता, एकांतता और प्रकृति शहरी जीवन से दूर रहने वाले लोगों को बहुत आकर्षित करती है।
पर्यटकों के लिए यह भी है खूबसूरत पर्यटक स्थल
इस शहर में कईं अन्य आकर्षक स्थान भी अवस्थित हैं, जहां किसी भी पर्यटक को जाना चाहिए, जैसे– IVRI प्रयोगशालाएँ– यहां आप कईं प्रयोगों के विषय में जानकारी ले सकते हैं, केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान में मौजूद क्षेत्रीय स्टेशन के बगीचे जहां पर 15 वर्ग मील में फैला एक विशाल देवदार का जंगल (हिमालयी देवदार), जो बेहद खूबसूरत है। 22 प्राचीन बर्फ-शिखर दृश्य (snow peak view), और बाघों और भालुओं जैसे वन्यजीवों के बीच रहने का रोमांच। मुक्तेश्वर में 1905 में स्थापित एक डाकघर भी है जिसका उल्लेख जिम कॉर्बेट के लेखन में भी दर्ज मिलता है।
मुक्तेश्वर कैसे पंहुचे (How to reach mukteshwar)
कोई भी व्यक्ति जो इस खूबसूरत स्थान को एक्सप्लोर करना चाहता है वह मुक्तेश्वर तक आसानी से पहुंच सकता है। यहां तक जाने के लिए विभिन्न यातायात साधनों का प्रयोग किया जा सकता है
हवाई जहाज़ द्वारा– निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर में है जहां से दिल्ली तथा अन्य शहरों के लिए फ्लाइट सुविधा उपलब्ध है।
रेल द्वारा– मुक्तेश्वर जाने के लिए सीधी ट्रैन तो उपलब्ध नहीं है मगर यहां से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो मुक्तेश्वर से मात्र 65 किमी दूर है, जहाँ से पड़ोसी शहरों के लिए ट्रैन सेवा उपल्ब्ध है।
सड़क द्वारा– भीमताल, भोवाली, हल्द्वानी और नैनीताल के लिए सड़क मार्ग का प्रयोग किया जा सकता है, यहां विभिन्न परिवहन के साधन, जैसे–बस, टैक्सी, आदि आसानी से उपलब्ध है।